Saturday, October 30, 2010

रेगिस्तान में आइसलैंड!

रासविहारी, संयुक्‍त अरब अमीरात से लौटकर। रस अल खेमा, कभी नाम भी नहीं सुना था। मेरी ही तरह बहुत सारे भारतीयों ने इसका नाम नहीं सुना है। इसलिए जब मेरे एक दोस्त ने रस अल खेमा आने का न्यौता दिया तो शुरू में कुछ समझ ही नहीं पाया। बाद में उसने बताया कि दुबई की ही तरह रस अल खेमा भी संयुक्त अरब अमीरात का एक शहर है और सात अमीरात में से एक अमीरात है।
दुबई से 80 किलोमीटर दूर रेत के रेगिस्तान में बसा है, रस अल खेमा। दुबई और रस अल खेमा के बीच फराoटा भरती हाइवे है, जिस पर कोई भी गाड़ी 120 और 140 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से कम नहीं चलती। दुबई से चलकर शारजाह को पार करते हुए पहुंचना होता है रस अल खेमा। शारजाह पार करते ही सड़क के दोनों ही तरफ रेत ही रेत। सोचा यह कैसा शहर है, लेकिन जब पहुंचा तो पता चला कि दुनिया की हर आधुनिक सुख सुविधाओं वाला है यह शहर।
हमारे दोस्त बलवंत व संतोख चावला ने इस रेगिस्तान में 125 एकड़ में आइसलैण्ड पार्क बनाया है। आप भी इनसे परिचित होंगे, यही नहीं हैं तो बता दें कि दिल्ली के कापसहेड़ा बॉर्डर पर स्थित फन एण्ड फूड के संचालक यही दोनों भाई हैं। इनके स्वामित्व वाली पोलो एम्यूजमेंट ग्रुप ने दिल्ली, नागपुर और पूर्व सोवियत संघ के ताशकन्द के बाद अपने वाटर पार्क के लिए रस अल खेमा को चुना था। न सिर्फ इसे चुना था, बल्कि इस आइसलैण्ड में दुनिया का सबसे बड़ा मानव निमिoत वाटर फॉल और रेल डांस पुल भी स्थापित कर दिया था।
हमारे साथ कुछ और पत्रकारों का दल इस पार्क के उदघाटन अवसर का गवाह बनने गया था। रस अल खेमा के रूलर एच एच शेख सउद बिन शाकिर अल कासिमी ने इस पार्क का उदघाटन किया। रस अल खेमा एक टैक्स फ्री जोन है, जहां आप आसानी से कोई भी उपक्रम लगा सकते हैं। लेकिन यहां आप 49 फीसदी से अधिक निवेश नहीं कर सकते। आपके निवेश में 51 फीसदी की भागीदारी वहां के रूलर की हो जाती है। इस कारण भारत का पोलो एम्यूजमेंट यहां संयुक्त उपक्रम बनकर पोलो रैक एम्यूजमेंट एलएलसी हो गया है।
रस अल खेमा के जल जजीरा अल हामरा में रसलखेमा में 125 एकड़ में आइसलैण्ड वाटर पार्क का निर्माण किया गया है। इसमें एक साथ 10 हजार लोग लुत्फ उठा सकते हैं। इसमें 50 से अधिक वाटर स्लाइड लोगों के मनोरंजन के लिए बनाया गया है। यहां लगाया गया वाटर प्लांट एक दिन में पांच लाख 25 हजार गैलन पानी की सफाई करता है। इसमें से चार मिलियन गैलन पानी पुल में जाता है। ये वाटर स्लाइड इतने रोमांचक हैं कि इसमें सवारी करते वक्त कई बार खतरे का अहसास हुआ, लेकिन इस अहसास के साथ रोमांचक अहसास बना रहा।
रेगिस्तान की तपती गर्मी में ये वाटर पार्क राहत देने वाले लगे। दिन भर के थके-मान्दे अरब के शेखों को अपने परिवार के साथ यहां आता देखकर अच्छा लगा कि चलो एक भारतीय ने एक गैर मुल्क में न सिर्फ एक मुकाम हासिल किया है, बल्कि वहां के स्थानीय लोगों को मनोरंजन की सुविधाएं भी दे रहा है। दिल्ली में पार्किंग की पार्किंग की किच-किच से इतनी बार गुजर चुका हूं कि यहां की पार्किंग में एक साथ 2500 कारें व 75 बसें खड़ी करने की बात सुनकर थोड़ा आश्चर्य हुआ और यह भी लगा कि यहां के लोग कितने अनुशासित हैं जो बड़े आराम से गाड़ियां खड़ी कर रहे हैं। पोलो इम्यूजमेंट ग्रुप के निदेशक सन्तोष चावला ने बताया कि भारत एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। हमें भी दुनिया को दिखाना है कि हमारे देश की कंपनी और हमारे यहां के लोग किसी देश से कम नहीं है।
रस अल खेमा में हमलोग तीन दिन रहे। इस बीच दुबई की शॉपिंग का भी मजा लिया। दुबई से यह जगह थोड़ी सस्ती है। इस बीच एक शाम डेजर्ट सफारी का अवसर भी मिला। पहले तो ड्राइवर ने डराया कि आप लोगों ने अधिक खाना तो नहीं खाया है। यदि आपने गाड़ी में उल्टी की तो 500 दिरहम का जुर्माना भरना होगा। एक दिरहम यहां का करीब 13 ‹पए होता है तो समझ लीजिए कि सफारी के बीच आपने यदि गाड़ी में उल्टी की तो 6500 ‹पए तत्काल ड्राइवर आपकी जेब से खींच लेगा।
खैर, डेजर्ड सफारी के लिए हम लैण्ड क्रूजर में सवार हुए। रेल के ऊंचे-नीचे टीलों में दौड़ती-भागती, कूदती-फांदती लैंड क्रूजर के अन्दर घबराहट सिर्फ इसलिए नहीं हुई कि ड्राइवर ने जुर्माना भरने की धमकी दी थी, बल्कि इस सफर के रोमांच ने घबराहट को पैदा ही नहीं होने दिया। कई बार लगा गाड़ी अब पलटी, तब पलटी, लेकिन अचानक रेत उड़ाती उड़न छू हो जाती। सफारी की थकान उस वक्त कम हुई जब बीच रेगिस्तान में खाने-पीने और नाच-गाने का प्रबंध देखा।
दरअसल यह डेजर्ड सफारी के पैकेज का हिस्सा था। वहां ऊंट की सवारी से लेकर अरबी संगीत की मोहक धुन, सभी कुछ तो मौजूद था। अरबी संगीत पर पहले थिरकता एक पु‹ष और िफर एक कमसिन बाला ने समा बांध दिया। उस जगह पर भारत, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, रूस-सभी जगह के पर्यटक थे। सफारी की सारी थकान काफूर हो गई और उस रात नीन्द भी जबरदस्त आई।
सुबह दुबई की सैर को निकले। दुबई को देखकर लगा कि इसे ऐसे ही शॉपिंग सिटी नहीं कहा जाता। ऊंची-ऊंची बिल्डिंगों और मॉल वाले इस शहर में हर वक्त शॉपिंग फेस्टिवल का अहसास होता है। यहां पाम-जुमैरा आइलैण्ड हो, दुनिया का सबसे ऊंची बल्डिंग बुर्ज़ खलीफा हो या दुनिया का सबसे बड़ा मॉल दुबई माल-सभी कुछ मानव निर्मित है। एक अरब सागर का किनारा प्राकृतिक लगा, लेकिन इसे भी ऊंचे तटों से बांधने की कोशिश दिख जाती है।
दुबई में भारत का असली अहसास `बर-दुबई' नामक जगह पर जाकर हुआ। आप यूं समझ लीजिए कि हम दिल्ली के चान्दनी चौक में पहुंच गए थे, लेकिन यह चौक चान्दनी चौक की अपेक्षा बहुत अधिक व्यवस्थित है। दिल्ली में नीचे दुकान और ऊपर रिहायश वाले इलाके को अनधिकृत कह कर कई इलाकों में बुल्डोजर चलाया गया, लेकिन यहां नीचे दुकान और ऊपर मकान की जगमगाहट ऊंची अट्टालिकाओं वाले इस शहर में आंखों को सुकून देती लगी। ज्वैलरी से लेकर कपड़े तक, चाट-समोसा से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स आयटम तक सब कुछ यहां के बाजार में उपलब्ध है। अंग्रेजी नहीं आती कोई बात नहीं, आपने रुपए को दिरहम में नहीं बदला तो भी चलता है। यहां तो बस आप अपनी भाषा हिन्दी में अपने भारतीय रुपए के साथ दौड़ पड़ेंगे।
इसलिए जब भी दुबई जाइए तो `बर-दुबई' जरूर जाइए, आपके अपने भाईयों ने उस रेगिस्तानी, ऊची अट्टालिकाओं वाली तपती धरती पर भारत का झण्डा बुलन्द कर रखा है। हमारी शाम की फ़्लाइट थी, वर्ना इच्छा हो रही थी थोड़ा वक्त और वहां गुजारें और आपके साथ थोड़ा और अनुभव शेयर करें। चलिए, अब आप खुद घूम आइए, उसमें ज्यादा मजा है।

संडे नईदुनिया से साभार

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