खाली पड़े हैं स्टेडियम खल रहे हैं खिलाड़ियों को
आयोजन समिति ने दर्शक जुटाने का जिम्मा दिल्ली सरकार और एनजीओ पर छोड़ा
एनजीओ को दर्शक जुटाने के लिए पास, खाने का कूपन और मेट्रो टिकट दिए गए
रासविहारी
नई दिल्ली। कॉमनवेल्थ गेम्स में दर्शकों का टोटा पड़ गया है। आयोजन समिति के अनुसार गेम्स के लिए नौ लाख टिकट बिक चुके हैं। बड़ी संख्या में दिल्ली सरकार को स्कूली बच्चों और गैर सरकारी संगठनों के लिए पास जारी किए गए हैं। इसके बावजूद दर्शक स्टेडियम में नहीं दिखाई दे रहे हैं। दर्शकों के टोटे के बीच हालत यह है कि लोगों को टिकट नहीं मिल रहे हैं। जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 14 अक्टूबर को होने वाले समापन समारोह के लिए टिकट ही नहीं मिल रहे हैं।
कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन समिति के महासचिव ललित भनोट का दावा है कि नौ लाख टिकट की बिक्री से 32 करोड़ रुपए मिले हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार और गैर सरकारी संगठनों को टिकट दिए गए हैं। अब उनकी जिम्मेदारी है कि लोगों को स्टेडियम तक पहुंचाएं। बताया गया है कि कई गैर सरकारी संगठनों को पास दिए गए हैं। दर्शक जुटाने के लिए एनजीओ को प्रति दर्शक खाने-पीने के लिए सौ रुपए का कूपन और आने-जाने के लिए मेट्रो का टिकट दिया गया है।
कॉमनवेल्थ गेम्स में 12 स्थानों पर 17 खेलों की प्रतियोगिताएं रही हैं। जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम की 60 हजार दर्शकों की क्षमता के बाद सबसे ज्यादा क्षमता ध्यानचन्द नेशनल स्टेडियम की है। 19118 दर्शकों की क्षमता वाले नेशनल स्टेडियम में हॉकी के मैच हो रहे हैं। समापन समारोह के साथ ही हॉकी मैच के टिकट लोगों को नहीं मिल रहे हैं। टिकट के लिए दो-तीन घंटे लाइन में खड़े होने के बाद लोगों को निराशा ही हाथ लगी। टिकटों की बिक्री होने के बावजूद दर्शकों की कमी खिलाड़ियों को खल रही है। वैसे आयोजन समिति का दावा है कि तीरन्दाजी और नेटबॉल को छोड़कर सभी खेलों में दर्शक जुट रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों के आरोपों की चर्चा के कारण शुरुआत में टिकटों की बिक्री नहीं हो पा रही थी। ऐसे में आयोजन से जुड़ी और अन्य सरकारी एजेंसियों ने बड़ी संख्या में टिकट खरीद लिए। कुछ निजी कंपनियों ने टिकट खरीदे। टिकट खरीद तो लिए गए पर आगे बांटे नहीं गए। टिकटों को रद्दी में कबाड़ में फेंकने की चर्चा गर्म है। इस कारण दर्शकों का टोटा हो गया।
नईदुनिया, ९ अक्टूबर (साभार)
waki khelon ka ye khel kisi ke samajh mein nahi aaya tha khabar mein hua khulaasa
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