Saturday, October 23, 2010

दिल्ली सरकार की खर्च लीला

वाहवाही लूटने को 63 हजार करोड़ का पर्चा, जांच से बचने को 4 हजार की चर्चा
रासविहारी
नई दिल्ली। दिल्ली की भी खर्च लीला अजीब है। कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़ी परियोजनाओं की जांच होने पर सरकार खर्च बता रही है, महज 3800 करोड़ रुपए। गेम्स से एक महीने दिल्ली सरकार ने प्रधानमन्त्री को भेजे पत्र में खर्चा बताया था 16198 करोड़। खबर यह नहीं है कि खर्च 3800 करोड़ हुए या 16198 करोड़। खबर तो यह है कि दिल्ली सरकार वाहवाही लूटने को खर्च बता रही थी कि 63 हजार करोड़ रुपए। इसके लिए बाकायदा रंगाबिरंगी फोटो वाली किताब बांटी गई। इस किताब पर खर्च भी मोटा किया गया।
दिल्ली सरकार की तरफ से यह किताब पिछले विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले बांटी गई थी। परियोजनाओं के खर्च पर विवाद उठने के बाद सरकार ने कई परियोजनाओं को कॉमनवेल्थ गेम्स के बाहर बता दिया। इन परियोजनाओं में बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सड़क, सजावट और अन्य योजनाएं हैं। चुनाव से पहले दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन को अपनी योजनाएं बताने वाली दिल्ली सरकार ने अब पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया है। बिजली परियोजनाओं का तो सरकार कॉमनवेल्थ गेम्स से पूरी तरह अलग बता रही है। आठ हजार मेगावॉट की बिजली परियोजनाओं पर सरकार ने 35 हजार करोड़ खर्च करने का ऐलान किया था। स्ट्रीट लाइट और स्ट्रीट स्केपिंग पर ही 890 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना तैयार की थी। स्ट्रीट लाइटिंग 325 किमी लंबी सड़क और स्ट्रीट स्केपिंग 150 किमी होनी थी। सरकार ने पहले पानी सप्लाई करने की योजना के लिए एक हजार करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई थी। स्ट्रीट स्केपिंग पर लोक निर्माण विभाग ने 269 करोड़, दिल्ली नगर निगम ने 160 करोड़ और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद ने 60 करोड़ खर्च किए हैं। अब सरकार ने कॉमनवेल्थ विलेज गेम्स में एक एमजीडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और एक एमजीडी की क्षमता वाला सीवर ट्रीटमेंट प्लांट को ही गेम्स से जोड़ रही है। इन दोनों प्रोजेक्ट पर 35 करोड़ और 31.95 करोड़ खर्च किए गए।

गेम्स सूची से बाहर हुए बड़े प्रोजेक्ट
गीता कालोनी पुल
आरआर कोहली मार्ग फ़्लाईओवर
गाजीपुर फ़्लाईओवर
मुकरबा चौक
आजादपुर
रावतुला राव मार्ग
नेल्सन मण्डेला मार्ग
आईटीचुंगी बेहरा इंलक्लेव
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