Thursday, March 10, 2011

दिल्ली की राजनीति में बढ़ रहा है महिलाओं का दबदबा

कांग्रेस से ज्यादा भाजपा ने दिए महिलाओं को पद

देशभर में महिला के तौर पर ही नहीं, बल्कि लंबे अरसे बाद कांग्रेस में ही लगातार १२ साल तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड दिल्ली में श्रीमती शीला दीक्षित ने ही तोड़ा है। अभी उनके मुख्यमंत्री पद को कोई चुनौती भी नहीं है। महिलाओं को स्थानीय निकायों में ३३ फीसदी आरक्षण मिलने के बाद उनका दबदबा लगातार बढ़ रहा है।
रासविहारी
दिल्ली की राजनीति में महिलाओं का दबदबा लगातार बढ़ रहा है। चौथी विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या दूसरी और तीसरी विधानसभा के मुकाबले कम हुई पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित बनी हुई हैं। दस साल बाद महिला मुख्यमंत्री के साथ एक महिला को मंत्री बनाया गया है। भारतीय जनता पार्टी ने तो प्रदेश पदाधिकारियों और कार्यकारिणी में महिलाओं को ३३ फीसदी पद आरक्षित कर दिए हैं।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी में उपाध्यक्ष और महासचिव पद पर एक-एक महिला नेता विराजमान है पर १९ महिलाओं को सचिव बनाया गया है। दिल्ली नगर निगम के पहले चार महत्वपूर्ण पदों महापौर, उपमहापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष और नेता निगम सदन पर कोई महिला काबिज नहीं है। १२ वार्ड समितियों में से भी केवल नरेला वार्ड समिति में ही महिला को अध्यक्ष बनाया गया है। निगम की २१ महत्वपूर्ण समितियों में से एक तिहाई पर महिलाएं अध्यक्ष हैं।

दिल्ली से सात लोकसभा सदस्यों में से केवल एक महिला है। उत्तर पश्चिम दिल्ली से लोकसभा में पहुंची कृष्णा तीरथ केन्द्र सरकार में महिला और बाल कल्याण मंत्रालय संभाल रही हैं। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के उपाध्यक्ष पद पर पूर्व विधायक ताजदार बाबर को फिर से बिठाया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय की राजनीति में भी महिलाओं का दबदबा कायम है। चार पदों में से दो उपाध्यक्ष और सचिव पद पर लड़कियों का कब्जा है।

देशभर में महिला के तौर पर ही नहीं, बल्कि लंबे अरसे बाद कांग्रेस में ही लगातार १२ साल तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड श्रीमती शीला दीक्षित दिल्ली ने ही तोड़ा है। अभी उनके मुख्यमंत्री पद को कोई चुनौती भी नहीं है।

इस बार विधानसभा में केवल तीन महिलाएं ही पहुंच पाई। पिछली विधानसभा में छह महिलाएं सदस्य थीं। २००८ के विधानसभा चुनाव के बाद श्रीमती किरण वालिया को मंत्री बनाया गया। इससे पहले १९९८ में श्रीमती सुषमा स्वराज मुख्यमंत्री और सुश्री पूर्णिमा सेठी मंत्री थीं। इसके बाद कृष्णा तीरथ भी शीला दीक्षित मंत्रिमंडल में सदस्य रही हैं। वह विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष भी रही हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आठ और भाजपा ने पांच महिलाओं को उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस की बरखा सिंह दूसरी बार विधानसभा में पहुंची हैं।

नगर निगम में ९६ महिला सदस्य हैं। महिलाओं को स्थानीय निकायों में ३३ फीसदी आरक्षण मिलने के बाद उनका दबदबा बढ़ रहा है। आरती मेहरा २००७ में पहले महिला कोटे से पहली बार महापौर बनीं और दो साल पद पर रहीं। २७२ सदस्यीय नगर निगम में ९२ सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। नगर निगम चुनाव में ९६ महिलाओं ने बाजी मारी थी। चार महिलाएं सामान्य सीटों से जीतकर निगम में पहुंची हैं। इस समय स्थायी समिति उपाध्यक्ष पर सरिता चौधरी, उद्यान समिति अध्यक्ष पद पर सविता गुप्ता, नियुक्ति समिति अध्यक्ष मीरा अग्रवाल, महिला कल्याण समिति अध्यक्ष विमला चौधरी, आचार संहिता समिति अध्यक्ष सत्या शर्मा हैं। इनके अलावा कई समितियों के उपाध्यक्ष पद महिलाओं के पास हैं। नरेला जोन की अध्यक्ष निशा मान हैं।

भाजपा ने तो पार्टी संविधान में बदलाव करते हुए एक-तिहाई पदाधिकारियों के पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए हैं। दिल्ली भाजपा में इस समय विशाखा सैलानी, पूनम आजाद, रजनी अब्बी उपाध्यक्ष, कमलजीत सहरावत, सिम्मी जैन, उर्मिला चौधरी, और उर्मिला गंगवाल सचिव हैं। प्रदेश कार्यकारिणी में १९ महिलाओं को शामिल किया गया है। १४ जिला अध्यक्षों में से एक महिला है। केशवपुरम जिला अध्यक्ष पार्षद रेखा गुप्ता को बनाया गया है। दिल्ली की महापौर रहीं आरती मेहरा भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री हैं। भाजपा में पहले केवल एक महिला को ही पदाधिकारी बनाने का विधान था।

आजादी के बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अब तक बने २१ अध्यक्षों में से पांच महिलाएं रही हैं। यह अलग बात है कि जनसंघ से लेकर अब तक भाजपा में राष्ट्रीय स्तर से लेकर दिल्ली प्रदेश तक किसी महिला को अध्यक्ष नहीं बनाया गया है। प्रदेश कांग्रेस के सात उपाध्यक्षों में से एक महिला है। पूर्व विधायक दर्शना रामकुमार उपाध्यक्ष हैं तो अलका लांबा महासचिव हैं। १३ महासचिवों में वह अकेली महिला हैं। दिल्ली कांग्रेस ने सौ सचिव बनाए हैं। इनमें १९ महिलाएं हैं। ये हैं निशा सैमुअल, रितु सिंह चौहान, सुजाता खंडूजा, एस गीता, रजिया इंशाल्लाह, रीमा कुमार, वंदना सिंह, उर्मिला रानी, परणीता आजाद, राज सचदेवा, रजनी महाजन, रचना सिंघल, मोहिनी जीनवाल, कोमलम नायर, निवेदिता नायर, पुष्पा आनंद, अजहर शगुफ्ता और पम्मी बजाज। ५७ सदस्यीय कार्यकारिणी में ११ महिलाएं हैं।

दिल्ली की पहली महापौर स्वतंत्रता सेनानी अヒणा आसफ अली बनीं। उन्होंने १९५८ में यह पद संभाला। इससे पहले उन्होंने वर्ष १९४६ में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहकर आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूिमका निभाई। महापौर के तौर पर भी उनकी भूमिका की लोग तारीफ करते हैं। सुभद्रा जोशी, सविता बेन, ताजदार बाबर और शीला दीक्षित भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहीं। कांग्रेस ने श्रीमती दीक्षित की अगुवाई में ही वर्ष १९९८ का विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता। उनका मुकाबला उस समय दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और भाजपा की तेजतर्रार नेता सुषमा स्वराज से हुआ था। भाजपा की आपसी गुटबाजी और प्याज की कीमतों ने १९९८ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी कामयाबी दिलाई। इस कामयाबी के बाद शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। उनकी अगुवाई में दिल्ली में कई बदलाव आए हैं। उनके खाते में कई बड़ी-बड़ी उपलब्धियां भी हैं। राष्ट्रमंडल खेल-२०१० की कामयाबी में श्रीमती दीक्षित और उनकी टीम की मेहनत की लोग प्रशंसा करते हैं। वर्ष २००३ का विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस ने उनकी अगुवाई में लड़ा। इस बार उनका मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना से हुआ। भाजपा इस चुनाव में केवल २० सीटें ही जीत पाई। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दस महिलाओं को मैदान में उतारा। इनमें श्रीमती दीक्षित के अलावा ताजदार बाबर, अंजलि राय, किरण वालिया, मीरा भारद्व चरेखा गुप्ताकिरण वालियादिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराजअलका लांबाकृष्णा तीरथआरती मेहर

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