Sunday, March 27, 2011

दारू की कमाई से भरते सरकारी खजाने

शराब को सेहत और समाज के लिए बेहद खराब मानना कोई नई बात नहीं है । सैद्धांतिक तौर पर हर मंच से इसकी निंदा की जाती रही है और हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने इसकी घोर निंदा की लेकिन विडंबना यह है कि भाजपा शासित या भाजपा के सहयोग से चलने वाली सरकारों ने शराब प्रबंधन से जम कर राजस्व बटोरने पर ध्यान दिया है । ज्यादातर राज्य सरकारों के खजाने में दारू की बिक्री से ज्यादा कर जमा हो रहा है । हाल यह है कि ज्यादातर राज्यों में पांच साल में दारू से कमाई दोगुनी से ज्यादा हो गई है । छत्तीसगढ़ को छोड़कर सभी राज्यों में शराब ठेकों की संख्या या शराब की बिक्री बढ़ रही है


रासविहारी

महंगी हुई शराब कि थोड़ी-थोड़ी पिया करो के सुरीले सुरों का असर पियक्कड़ों पर कोई पड़ता नहीं दिखता है । महंगी होती शराब के बावजूद शराब के दीवाने करोड़ों की शराब गटक जाते हैं। ज्यादातर राज्य सरकारों के खजाने में दारू की बिक्री से ज्यादा कर जमा हो रहा है । हाल यह है कि ज्यादातर राज्यों में पांच साल में दारू से कमाई दोगुनी से ज्यादा हो गई है । छत्तीसगढ़ को छोड़कर सभी राज्यों में शराब ठेकों की संख्या या तो बढ़ रही है या शराब की बिक्री में लगातार बढ़ोतरी हो गई है । छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस साल अप्रैल से दो हजार की आबादी वाले गांवों में देशी-अंग्रेजी शराब के २५० ठेके बंद करने का एलान किया है । इससे राज्य में शराब की बिक्री में कमी आएगी । जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार और असम में शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व में बढ़ोतरी हो रही है । हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में पियक्कड़ों की तादाद भी तेजी से बढ़ रही है । पंजाब में १८ साल से ज्यादा आयु वालों की शराब पीने की अनुमति है । इसके बावजूद पंजाब में १३ साल तक के बच्चे नशे की गिरफ्त में हैं । पंजाब की महिलाओं में भी नशे की लत बढ़ रही है । जम्मू-कश्मीर में भी अंग्रेजी शराब की बिक्री बढ़ी है । चंडीगढ़ में शराब की बिक्री खूब होती है। आंकड़े बता रहे हैं कि रोजाना १.८० लाख बोतल शराब अकेले चंडीगढ़ में बिक जाती है । कभी केरल में शराब की सालाना बिक्री प्रति व्यक्ति सबस

्‌ीटा्रज्यादा थी । इस समय हरियाणा पियक्कड़ों के लिहाज से अव्वल है । हरियाणा सरकार ने विकास के मद्देनजर आबकारी नीति को उदार बनाया है । देहाती इलाकों के विकास के लिए पंचायतों को आबकारी राजस्व में हिस्सा देने की घोषणा की गई है । एक गैर सरकारी संगठन के अनुसार प्रति व्यक्ति सालाना खपत हरियाणा में २१.४५, दिल्ली में १४.७२, हिमाचल प्रदेश में १२.८० और पंजाब में ११.४५ बोतल है । महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल और बिहार में देशी दारू की बिक्री भी ज्यादा हो रही है । पूरे देश में जितनी देशी शराब बिकती है उसका ५० प्रतिशत तो इन सात राज्यों में ही खप जाता है । इन आंकड़ों को तफसील से देखें तो पाएंगे कि देश में देशी दारू की बिक्री का ११ फीसदी उत्तर प्रदेश, नौ फीसदी महाराष्ट्र, आठ फीसदी पश्चिम बंगाल, आठ फीसदी बिहार, पांच फीसदी पंजाब और मध्य प्रदेश तथा चार फीसदी हरियाणा में हिस्सा है । कई राज्यों में देशी दारू की बिक्री पर रोक लगा दी गई है । इसके बावजूद देशी दारू का सालाना कारोबार २५ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है । देशी दारू की बिक्री में हर साल ढाई फीसदी का इजाफा हो रहा है । अंग्रेजी शराब की बिक्री हर साल १० फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है। यही वजह है कि सरकारी खजाने में अन्य मदों में मिलने वाले राजस्व से ज्यादा आबकारी से मिलता है । कई राज्यों में वैट के बाद सरकारों की कमाई शराब की बिक्री से होती है ।

हैरानी की बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के राज वाले राज्य भी शराब की बिक्री से लगातार राजस्व बढ़ा रहे हैं । देश में आबकारी से कमाई करने वालों में कर्नाटक अव्वल रहा है । कर्नाटक सरकार ने आगामी वित्त वर्ष के लिए आबकारी वसूली का लक्ष्य ९,२०० करोड़ रुपए तय किया है । चालू वित्त वर्ष में कर्नाटक ने तय लक्ष्य ७,५०० करोड़ रुपए से कहीं बढ़कर ८,२०० करोड़ रुपए आबकारी के तहत वसूले हैं । तमिलनाडु सरकार भी कर्नाटक सरकार की तर्ज पर चल रही है । तमिलनाडु सरकार ने नए वित्त वर्ष में ८,९३५ करोड़ रुपए आबकारी के तहत वसूलने का लक्ष्य रखा है ।

आबकारी लक्ष्य में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश ने अन्य राज्यों के मुकाबले कम लक्ष्य तय किया है । मध्य प्रदेश में वर्ष ०९-१० में सरकार ने आबकारी के तहत २,४०० करा़ेड रुपए वसूलने का लक्ष्य तय किया और मिले २५ सौ करोड़ रुपए ! २०१०-११ के लिए सरकार ने २,७०० करोड़ मिलने की उम्मीद सरकार ने जताई है । लगता है, कमाई इससे ज्यादा होगी ।

उत्तर प्रदेश सरकार ने तो आबकारी वसूली के लिए अगले दो साल के लिए नई नीति बनाई है । उत्तर प्रदेश में २००९-१० में बीयर और अंग्रेजी शराब की २० करोड़ से ज्यादा बोतलें बिकीं । देशी दारू की २२ करोड़ बोतलें बिकीं । सरकार को इस मद में ५,६६६ करोड़ रुपए मिले । इस साल फरवरी तक आबकारी वसूली में सरकार ने २० प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है । माया सरकार ने आबकारी वसूली के तहत अगले दो साल में तीन हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त वसूली का लक्ष्य तय किया है यानी कि अगले वित्त वर्ष में आबकारी के तहत आठ हजार करोड़ रुपए वसूलने का लक्ष्य रखा गया है ।

ऐसा नहीं है कि अन्य राज्य शराब से कमाई में बहुत पीछे हैं । तेजी से विकास की तरफ बढ़ते छोटे राज्यों में पंजाब ने नए वित्त वर्ष में ३,१९० करोड़, हरियाणा ने २५०० करोड़ और दिल्ली २२०० करोड़ रुपए आबकारी के तहत वसूलने का लक्ष्य रखा है । उत्तराखंड में भी भाजपा की सरकार ने आबकारी वसूली का लक्ष्य बढ़ाया है । दिल्ली के पियक्कड़ हर महीने ४५ लाख बोतल दारू गटक जाते हैं । सरकार का राजस्व भी लगातार बढ़ रहा है । तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद शीला दीक्षित ने पहली बार वित्त विभ ङ"ख११ऋ

्‌ीटा्रज्यादा थी । इस समय हरियाणा पियक्कड़ों के लिहाज से अव्वल है । हरियाणा सरकार ने विकास के मद्देनजर आबकारी नीति को उदार बनाया है । देहाती इलाकों के विकास के लिए पंचायतों को आबकारी राजस्व में हिस्सा देने की घोषणा की गई है । एक गैर सरकारी संगठन के अनुसार प्रति व्यक्ति सालाना खपत हरियाणा में २१.४५, दिल्ली में १४.७२, हिमाचल प्रदेश में १२.८० और पंजाब में ११.४५ बोतल है । महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल और बिहार में देशी दारू की बिक्री भी ज्यादा हो रही है । पूरे देश में जितनी देशी शराब बिकती है उसका ५० प्रतिशत तो इन सात राज्यों में ही खप जाता है । इन आंकड़ों को तफसील से देखें तो पाएंगे कि देश में देशी दारू की बिक्री का ११ फीसदी उत्तर प्रदेश, नौ फीसदी महाराष्ट्र, आठ फीसदी पश्चिम बंगाल, आठ फीसदी बिहार, पांच फीसदी पंजाब और मध्य प्रदेश तथा चार फीसदी हरियाणा में हिस्सा है । कई राज्यों में देशी दारू की बिक्री पर रोक लगा दी गई है । इसके बावजूद देशी दारू का सालाना कारोबार २५ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है । देशी दारू की बिक्री में हर साल ढाई फीसदी का इजाफा हो रहा है । अंग्रेजी शराब की बिक्री हर साल १० फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है। यही वजह है कि सरकारी खजाने में अन्य मदों में मिलने वाले राजस्व से ज्यादा आबकारी से मिलता है । कई राज्यों में वैट के बाद सरकारों की कमाई शराब की बिक्री से होती है ।

हैरानी की बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के राज वाले राज्य भी शराब की बिक्री से लगातार राजस्व बढ़ा रहे हैं । देश में आबकारी से कमाई करने वालों में कर्नाटक अव्वल रहा है । कर्नाटक सरकार ने आगामी वित्त वर्ष के लिए आबकारी वसूली का लक्ष्य ९,२०० करोड़ रुपए तय किया है । चालू वित्त वर्ष में कर्नाटक ने तय लक्ष्य ७,५०० करोड़ रुपए से कहीं बढ़कर ८,२०० करोड़ रुपए आबकारी के तहत वसूले हैं । तमिलनाडु सरकार भी कर्नाटक सरकार की तर्ज पर चल रही है । तमिलनाडु सरकार ने नए वित्त वर्ष में ८,९३५ करोड़ रुपए आबकारी के तहत वसूलने का लक्ष्य रखा है ।

आबकारी लक्ष्य में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश ने अन्य राज्यों के मुकाबले कम लक्ष्य तय किया है । मध्य प्रदेश में वर्ष ०९-१० में सरकार ने आबकारी के तहत २,४०० करा़ेड रुपए वसूलने का लक्ष्य तय किया और मिले २५ सौ करोड़ रुपए ! २०१०-११ के लिए सरकार ने २,७०० करोड़ मिलने की उम्मीद सरकार ने जताई है । लगता है, कमाई इससे ज्यादा होगी ।

उत्तर प्रदेश सरकार ने तो आबकारी वसूली के लिए अगले दो साल के लिए नई नीति बनाई है । उत्तर प्रदेश में २००९-१० में बीयर और अंग्रेजी शराब की २० करोड़ से ज्यादा बोतलें बिकीं । देशी दारू की २२ करोड़ बोतलें बिकीं । सरकार को इस मद में ५,६६६ करोड़ रुपए मिले । इस साल फरवरी तक आबकारी वसूली में सरकार ने २० प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है । माया सरकार ने आबकारी वसूली के तहत अगले दो साल में तीन हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त वसूली का लक्ष्य तय किया है यानी कि अगले वित्त वर्ष में आबकारी के तहत आठ हजार करोड़ रुपए वसूलने का लक्ष्य रखा गया है ।

ऐसा नहीं है कि अन्य राज्य शराब से कमाई में बहुत पीछे हैं । तेजी से विकास की तरफ बढ़ते छोटे राज्यों में पंजाब ने नए वित्त वर्ष में ३,१९० करोड़, हरियाणा ने २५०० करोड़ और दिल्ली २२०० करोड़ रुपए आबकारी के तहत वसूलने का लक्ष्य रखा है । उत्तराखंड में भी भाजपा की सरकार ने आबकारी वसूली का लक्ष्य बढ़ाया है । दिल्ली के पियक्कड़ हर महीने ४५ लाख बोतल दारू गटक जाते हैं । सरकार का राजस्व भी लगातार बढ़ रहा है । तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद शीला दीक्षित ने पहली बार वित्त विभाग की कमान अपने पास रखी है । मुख्यमंत्री ने साढ़े बारह साल के राज में पहली बार विधानसभा में बजट पेश किया । दिल्ली में आबकारी के तहत लक्ष्य से ज्यादा ही वसूली हो रही है । आसपास के राज्यों के मुकाबले दिल्ली में शराब और बीयर के दाम भी कम हैं ।

1 comment:

  1. क्या बात है सर, मजा आ गया !!

    ReplyDelete