Thursday, December 9, 2010

भाजपा में बदल रहे हैं समीकरण

कल का विरोधी आज खेमे में आया, बड़ों-बड़ों का सिर चकराया
2012 में होने वाले नगर निगम चुनावों पर नज़र नहीं
लड़ाई : कौन बनेगा मुख्यमन्त्री का दावेदार
दिल्ली विधानसभा के चुनाव हैं 2013 में
रासविहारी
नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पाटीo में तेजी से समीकरण बदल रहे हैं। कल के विरोधी आज दोस्त बन गए हैं। कल जो समर्थक थे, आज राजनीतिक फायदे के लिए पाला बदल रहे हैं। बदलते समीकरणों में बुजुर्ग नेताओं को हाशिये पर डाल दिया गया है। ऐसे में प्रदेश पदाधिकारियों से लेकर मण्डल स्तर तक खेमेबाजी जोर पकड़ रही है।
प्रदेश भाजपा में विजेन्द्र गु¹ाा के अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश पदाधिकारी, जिला अध्यक्ष और मोर्चे के अध्यक्ष तथा महामन्त्री की घोषणा के साथ राजनीतिक समीकरण बदलने शुरू हो गए थे। मोर्चे के पदाधिकारियों की घोषणा के बाद इसमें ज्यादा तेजी आई। जिलों के पदाधिकारियों की घोषणा के बाद खेमेबाजी खुलकर होने लगी। यह सब आगामी दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर नहीं, बल्कि 2013 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर हो रहा है। राजनीतिक बिसात पर गोटियां 2012 में होने वाले दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर नहीं बिछ रही हैं। गोटियां िफट हो रही है, उसके बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर। यानी खेल शुरू हो गया है कि कौन बनेगा मुख्यमन्त्री पद का दावेदार।
दिल्ली भाजपा में नेतृत्व का चेहरा बदला तो राजनीतिक समीकरण भी बदल गए। पुराने खेमेबाजी की जगह नए-नए समीकरण बन रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा राजनीति नई दिल्ली सीट को लेकर हुई। नई दिल्ली से चुनाव लड़ने वाले विजय गोयल ने अब भी भाजपा की अन्दरूनी राजनीति को गरमा रखा है। गांवों में हाउस टैक्स लगाने के सवाल पर पाटीo से अलग होकर उन्होंने लड़ाई लड़ी। गांवों में जाकर मोर्चा खोला। यह लड़ाई भाजपा नेताओं को पच नहीं पा रही है। पूर्व महापौर और अब भाजपा की राष्ट्रीय मन्त्री आरती मेहरा विजय गोयल के साथ हैं। नेता हैरान हैं कि नई दिल्ली लोकसभा सीट से टिकट को लेकर गोयल और आरती में खूब बजी थी। आरती के पलटी मारने से समर्थक नेता हैरान हैं और मायूस भी। प्रदेश भाजपा के महामन्त्री रमेश बिधूड़ी, उपाध्यक्ष सरदार आरपी सिंह और सतीश उपाध्याय भी विजय गोयल के साथ हैं। पिछले दिनों पहलवान सुशील कुमार के सम्मान समारोह में ये नेता भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामन्त्री रामलाल और महामन्त्री जगत प्रकाश नÈा के साथ एक मंच पर थे। इन सब राजनीतिक समीकरणों के बीच कभी विजय गोयल के नजदीकी रहे विजेन्द्र गु¹ाा की आज सबसे ज्यादा दूरी उनसे ही बनी है।
पश्चिम दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में भी हालात बदल रहे हैं। लोकसभा चुनाव लड़े जगदीश मुखी और प्रदेश महामन्त्री प्रवेश वर्मा की लड़ाई तो पुरानी है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा से मुखी की बनी दूरी आज भी बरकरार है। अब यह हुआ है कि मल्होत्रा के कुछ नजदीकी नेता मुखी के साथ राजनीतिक गोटियां बिछा रहे हैं। जिला अध्यक्ष राजीव बब्बर अब मुखी के साथ हो गए हैं। इस क्षेत्र में यह लड़ाई और तेज होने वाली है।
पूर्वी दिल्ली लोकसभा इलाके में भी हालात बदल गए हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन के विरोधी कुलजीत चहल प्रदेश टीम में शामिल होने में सफल रहे। अध्यक्ष पद से हटने के बाद इलाके में डॉ. हर्षवर्धन का राजनीतिक असर कम होता जा रहा है। वैसे भी उनका जनाधार तो कभी रहा नहीं। उनके दूसरे विरोधी कामयाब हो रहे हैं। उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र में पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष आलोक कुमार और विधायक नरेश गौड़ में जमकर लड़ाई जारी है। जिलों के नेताओं की विधायकों और पार्षदों से नहीं बन रही है। पार्षदों की अन्दरूनी खींचतान जमकर चल रही है।
दक्षिण दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में प्रदेश महामन्त्री रमेश बिधूड़ी और प्रदेश उपाध्यक्ष पवन शर्मा के समर्थकों के बीच घमासान मचा हुआ है। इस इलाके में रमेश बिधूड़ी ने पूरे समीकरण बदल दिए हैं। जिलों और मण्डलों पर उनके समर्थक काबिज हैं। प्रदेश में जरूर पवन शर्मा अपनी पसन्द के नेता को पदाधिकारी बनाने में सफल रहे थे। चान्दनी चौक लोकसभा क्षेत्र में राजनीतिक समीरकरण बदले हैं। उत्तर पि´ाम दिल्ली लोकसभा सीट पर भाजपा के तीन विधायक हैं पर वहां भी अन्दरूनी घमासान मचा है। विधायक कुलवन्त राणा और मनोज शौकीन विजय गोयल के साथ बताए जा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने गांवों में हाउस टैक्स के विरोध में एक रैली का आयोजन कराया था।
नईदुनिया ८ दिसंबर २०१०

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