Friday, November 12, 2010

पत्रकार चलाएं प्रेस क्लब, वरिष्ठ पत्रकारों की राय

प्रेस क्लब चुनाव
पत्रकार चलाएं प्रेस क्लब
वरिष्ठ पत्रकारों की राय
प्रमुख संवाददाता
नई दिल्ली। प्रेस क्लब ऑफ इण्डिया के चुनाव में इस बार आमने-सामने की टक्कर है। वर्तमान अध्यक्ष परवेज अहमद और महासचिव पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ के पैनल के मुकाबले टी आर रामचन्द्रन-सन्दीप दीक्षित का पैनल है। चुनावी लड़ाई में हर तरह के मुद्दे हैं। भाषा, जाति से लेकर एक-दूसरे पर तमाम आरोप मढ़े जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि चुनाव प्रेस क्लब में नहीं बल्कि किसी पंचायत के हो रहे हैं। चुनाव के लिए मतदान को 13 नवबंर को होगा।
बदलाव की बयार में वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि प्रेस क्लब की कमान पत्रकारों के हाथ में होनी चाहिए। ज्यादातर पत्रकारों का मानना है कि प्रेस क्लब के प्रबंधन में बदलाव जरूरी है। उनकी राय में चुनाव के दौरान उठाए जा रहे हिन्दी बनाम अंग्रेजी और कायस्थ बनाम ब्राह्मण जैसे मुद्दे उछालना बेकार की बात है। मीडिया जगत में ऐसे मुद्दे कोई मायने नहीं रखते हैं।
चुनाव की शुरुआत में परवेज-पुष्पेन्द्र पैनल के मुकाबले रामचन्द्रन-सदीप पैनल के उतरने के बाद कुछ लोगों ने यह मुद्दा उठाया था कि फुलटाइम पत्रकार प्रेस क्लब नहीं चला सकते हैं। यह मुद्दा उछलते ही फुस्स हो गया। बाद में कायस्थ बनाम ब्राह्मण की लड़ाई को भुनाने की कोशिश हो रही है।
परवेज-पुष्पेन्द्र लगातार चार बार प्रेस क्लब के लिए चुने गए हैं। पिछले चुनावों में उनके मुकाबले दो-तीन पैनल उतरने के कारण उन्हें फायदा होता रहा है। इस बार सीधी टक्कर में बदलाव का नारा उनके सामने है। उनके पैनल की तरफ से मुकाबले में उतरे पत्रकारों को मौसमी परिन्दा करार दिया गया है।
कुछ पत्रकार छठ पूजा पर ही हर बार चुनाव कराने को मुद्दा बना रहे हैं। बिहार से जुड़े पत्रकारों का कहना कि हर बार छठ पूजा पर ही चुनाव क्यों कराए जाते हैं। छठ पूजा पर बड़ी संख्या में सदस्य दिल्ली से बाहर चले जाते हैं। शायद यह एक तरह से बिहार के पत्रकारों को चुनाव से दूर करने की साजिश है।

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